अमित शाह को क्यों डर लगता है कि 2019 में हार गए तो ग़ुलाम हो जाएँगे: रवीश कुमार

अमित शाह को क्यों डर लगता है कि 2019 में हार गए तो ग़ुलाम हो जाएँगे: रवीश कुमार

रिटायर जस्टिस ए के पटनायक का बयान आया है कि उन्हें वर्मा के ख़िलाफ़ केंद्रीय सतर्कता आयुक्त की रिपोर्ट में भ्रष्टाचार के कोई प्रमाण नहीं मिले थे। सुप्रीम कोर्ट ने ही जस्टिस पटनायक से कहा था कि वे सी वी सी की रिपोर्ट की जाँच करें। पटनायक ने चौदह दिनों के भीतर जाँच कर अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंप दी थी। उन्होंने वर्मा को भी अपना पक्ष रखने का मौक़ा दिया। यह भी कहा कि सीवीसी ने स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना के साइन किए हुए बयान तो भेजे लेकिन अस्थाना ने उनके सामने ऐसा बयान नहीं दिया।





इंडियन एक्सप्रेस में जस्टिस पटनायक का बयान छपा है। उन्होंने सीमा चिश्ति से बातचीत में ये सब कहा है। उनका कहना है कि केंद्रीय सतर्कता आयुक्त की रिपोर्ट अंतिम शब्द नहीं है। जस्टिस पटनायक का बयान है कि मैंने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि केंद्रीय सतर्कता आयुक्त की रिपोर्ट में लगाए गए किसी आरोप में भ्रष्टाचार के प्रमाण नहीं मिले

जस्टिस पटनायक ने यह रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को ही दी थी। जस्टिस पटनायक ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा भी था कि हाई पावर कमेटी निर्णय ले तो भी इतनी जल्दबाज़ी में फ़ैसला नहीं लेना चाहिए था। ख़ासकर जब उसमें सुप्रीम कोर्ट के जज थे तब कमेटी को गहराई से सोचना चाहिए था।

अब यहाँ समझना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने वर्मा के ख़िलाफ़ मामलों की जाँच के लिए जस्टिस पटनायक से कहा। जस्टिस पटनायक ने अपनी रिपोर्ट दे दी तो उस रिपोर्ट पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना स्टैंड क्यों नहीं लिया? क्या हाई पावर कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश से बनी जस्टिस पटनायक की रिपोर्ट पर विचार किया? क्या पटनायक की रिपोर्ट से ज़्यादा महत्व सीवीसी की रिपोर्ट को दिया? क्या जस्टिस सीकरी ने सुप्रीम कोर्ट की रिपोर्ट पर कोई स्टैंड लिया ?


तो इस मामले में क्या हुआ? सीवीसी ने वर्मा के ख़िलाफ़ आरोपों की सूची बनाई। सरकार ने वर्मा को हटा दिया। वर्मा सुप्रीम कोर्ट जाते हैं। सुप्रीम कोर्ट कहता है कि वर्मा को ख़िलाफ़ सीवीसी ने जो सामग्री पेश की है वह पद से हटाने के लिए अपर्याप्त है।वर्मा बहाल कर दिए जाते हैं। अब प्रधानमंत्री के नेतृत्व में बनी उन्हीं अप्रमाणित आरोपों के आधार पर वर्मा को हटा देती है।


       सरकार समर्थक भक्त सोशल मीडिया पर प्रचार करते हैं कि जस्टिस सीकरी ने भी सीवीसी को रिपोर्ट को सही माना। संदेह की सुई प्रधानमंत्री की तरफ थी कि वे रफाल मामले में जाँच रोकने के लिए वर्मा को हटाना चाहते हैं। वर्मा को हटाने की पहली कोशिश सुप्रीम कोर्ट में सफल नहीं हुई थी। लिहाज़ा प्रधानमंत्री को बचाने के लिए भक्तगण जस्टिस सीकरी के वोट का सहारा ले रहे हैं।


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